जिसके उपरांत महाराष्ट्र कृषि विभाग द्वारा नकली बीमा की जानकारी करने के लिए सजग सर्वेक्षण किया गया है। सर्वेक्षण के अंतर्गत जानकारी मिली है, कि 82,338 आवदकों में से 8,674 लोगों ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। जानकारी के अनुसार, सोलापुर जनपद में सर्वाधिक 2715 मामले फर्जी पकडे गए हैं। इसके उपरांत सांगली में 1395 वहीं जलगांव में 744 मामले पाए गए। खबरों के अनुसार, अधिकांश जनपदों में फर्जी मामले सामने आए हैं। उधर, प्रीमियम में किसानों की भागीदारी लगभग 9.07 करोड़ रुपये थी। वहीं, राज्य एवं केंद्र सरकार की संयुक्त भागीदारी 31.77 करोड़ रुपये है।
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अवैध रूप से 42 करोड़ रुपए का फायदा उठाया
जानकारी के लिए बतादें कि बीते दिनों हरियाणा में पीएम किसान योजना में फर्जीवाड़े की खबर देखने को मिली थी। यहां पर पेंशनधारी, ज्यादा जोत वाले किसान एवं करदाता भी फर्जी दस्तावेजों के उपयोग से पीएम किसान का फायदा उठा लिए थे। इन लोगों द्वारा 42 करोड़ रुपए की धनराशि बहुत सी किस्तों में उठाई थी। हालांकि, मसला सामने आने के बाद कुछ ही किसान इन रुपयों को वापस लौटा पाए हैं। अब सरकार द्वारा इन कृषकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
जैसा कि हम जानते हैं, कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केंद्र द्वारा चलाई गई योजना है। इसके तहत किसानों को वर्ष में 6000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। इस योजना का आरंभ लघु और सीमांत किसानों के लिए किया गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान) में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा देखने को मिला है। बताया जा रहा है, कि हजारों अपात्र किसानों द्वारा फर्जी तौर से पीएम किसान का फायदा प्राप्त किया गया है। इससे सरकारी खजाने को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि, फर्जीवाड़े के मामले के सामने आने के बाद अधिकारियों ने कार्रवाई चालू कर दी है। फिलहाल, इन फर्जी किसानों को शीघ्र ही पीएम किसान की धनराशि वापस करनी पड़ेगी। यदि नहीं की तो उनके ऊपर कार्रवाई भी की जा सकती है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, पीएम किसान में यह फर्जीवाड़ा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में हुआ है। यहां लगभग 6 हजार अपात्र कृषकों को पीएम सम्मान निधि योजना की धनराशि दी गई है। साथ ही, बहुत सारे ऐसे भी अपात्र लाभार्थी सामने आए हैं, जिनके पास खेती करने के लिए बिल्कुल भी जमीन नहीं थी। इतना ही नहीं वे दूसरे तहसीलों के निवासी थे। इसके बावजूद भी उनको पीएम किसान का लाभ मिल गया। अब कृषि एवं राजस्व विभाग की तरफ से इस तरह के अपात्र किसानों की जाँच कर बैंकों के माध्यम से नोटिस भेज रहा है। नोटिस में उन कृषकों को पीएम किसान की धनराशि को वापस करने के लिए कहा गया है। अगर किसान धनराशि वापस नहीं करते तो कानूनी कार्रवाई भी करने की बात भी कही गई है।
अपात्र किसानों की पहचान कैसे की गई
अलीगढ़ जनपद में केंद्र सरकार द्वारा 3.75 लाख किसानों के खाते में पीएम किसान की धनराशि हस्तांतरित की जाती है। परंतु, जब कृषि एवं राजस्व विभाग ने जांच कराई तो पता चला कि कोल, गभाना, इगलास, खैर और अतरौली तहसील में हजारों ऐसे अपात्र किसान हैं, जो पीएम किसान योजना का नाजायज तरीके से फायदा उठा रहे हैं। दरअसल, गभाना के सौंगरा गांव के बहुत सारे ग्रामीणों ने अतरौली तहसील के धनसारी गांव का मूल निवासी बताके पीएम योजना का फायदा उठा लिया था। जब यह मामला उजागर हुआ तो जांच के उपरांत परत दर परत सभी अपात्र किसान पकड़े गए।
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राजस्व टीम की जांच में इस पूरे खेल का पर्दाफाश हुआ है। विशेष बात यह है, कि इनमें से किसी के समीप भी खेती के लिए भूमि नहीं है। मतलब कि भूमिहीन होने के उपरांत भी इन लोगों ने फर्जी ढंग से पीएम किसान की धनराशि उठा ली है।
पीएम किसान योजना किस वजह से शुरू की गई थी
बतादें, कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक केंद्रीय योजना है। इसके अंतर्गत किसानों को वर्ष में 6000 रुपये प्रदान किए जाते हैं। 2000 रुपये की 3 समान किस्तों में कर के यह धनराशि किसानों के खातों में हस्तांतरित कर दी जाती है। अब तक केंद्र सरकार द्वारा 13 किस्त जारी की जा चुकी हैं। फिलहाल, किसान 14वीं किस्त की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कम जोत वाले एवं सीमांत किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए यह योजना चालू की थी। विगत 27 फरवरी को पीएम मोदी ने पीएम किसान की 13 वीं किस्त जारी की थी। इसके लिए 16800 करोड़ रुपये का खर्चा किया गया था। साथ ही, 8 करोड़ से ज्यादा कृषकों ने 14वीं किस्त का फायदा उठाया था।